भोपाल में महात्मा गांधी के 150वें जन्म वर्ष के अवसर पर दी गई
आलाेक चटर्जी निर्देशित इस नाटक की प्रस्तुति धर्मपाल शोधपीठ की ओर से की गई
भोपाल. भारत भवन के अंतरंग सभागार में शुक्रवार को महात्मा गांधी की पुस्तक 'हिंद स्वराज' पर आधारित नाटक 'आपकी अदालत में गांधी' का मंचन हुआ। नाटक में तीन महात्मा गांधी नजर आए- एक न्यायधीश के रूप में, दूसरे वकील के रूप में और तीसरे जनता के बीच। आलाेक चटर्जी निर्देशित इस नाटक की प्रस्तुति धर्मपाल शोधपीठ की ओर से महात्मा गांधी के 150वें जन्म वर्ष के अवसर पर दी गई।
इसमें मप्र नाट्य विद्यालय के सत्र 2019-20 के 26 छात्र-छात्राओं ने अभिनय किया। 50 मिनट की अवधि के इस नाटक में महात्मा गांधी कोर्ट रूम में आते हैं और जनता उनसे सवाल पूछती है। यह नाटक पहली बार मंचित किया गया।
नाटक की शुरुआत होती है गांधीजी के अदालत में आगमन से... साथ ही रवींद्र नाथ टैगोर का लिखा गीत बजता है- एकला चलो रे। इस अदालत में हर राज्य का नागरिक मौजूद है और वह महात्मा गांधी से सवाल करता है- हिंसा-अहिंसा, विभाजन, शिक्षा, रेल, स्वास्थ्य, अक्षर ज्ञान, पारंपरिक शिक्षा पर सवाल...। गांधी कहते हैं- हर एक इंसान को अक्षर ज्ञान जरूरी है, लेकिन उसके साथ नैतिक मूल्य को भी जानना बहुत आवश्यक है। आज बड़े-बड़े पदों पर बैठकर लोग नैतिक मूल्य भूल बैठे हैं।
अंग्रेजों ने बैन कर दी थी यह किताब
महात्मा गांधी ने यह किताब समुद्री यात्रा के दौरान 1909 में लिखी थी। यह सभ्यता के अलावा सत्याग्रह, अहिंसा और स्वराज पर आधारित है, लेकिन अंग्रेजों ने यह कहकर बैन कर दिया कि यह राष्ट्रद्रोहात्मक है। गांधी ने कहा था कि यह स्वराज की कल्पना को लेकर है, न तो राजनीतिक और न ही किसी पार्टी की।